हिन्द महासगर और प्रशांत महासागर :
ये दुनिया इतनी रहस्यमयी है कि जितना ही हम इसे जानने की कोशिश करते है उतना ही हम उलझते जाते हैं .
ये दुनिया इतनी रहस्यमयी है कि जितना ही हम इसे जानने की कोशिश करते है उतना ही हम उलझते जाते हैं .
ऐसा ही कुछ पृथ्वी पर भरे अथाह पानी के बारे में भी जिसे हम सागर या महासागर कहते है. पृथ्वी पर लगभग 70% हिस्से में पानी है बाकी जगह पर जमीनी हिस्सा है जिस पर इंसान, जानवर, जंगल, नदियाँ, पहाड़ चट्टाने और झरने आदि है. इंसानों ने जमीनी हिस्से के रहस्य को तो कुछ हद तक समझने की कोशिश की है लेकिन महासागरों के बारे में हम आज तक बहुत ही कम जान पाए है.
समंदर की गहराई में आज भी कितने ही राज छुपे हुए है जिसे हम जानना चाहते है आज भले ही विज्ञान और तकनीकी ने पहले से ज्यादा तरक्की कर ली हो लेकिन फिर भी हम कितनी ही कोशिश करले हम समंदर के रहस्यों को सुलझाने का दावा नहीं कर सकते.
आज हम आपको हिंद महासागर और प्रशांत महासागर का पानी के एक रहस्य के बारे में बताने जा रहे है.
हिंद महासागर और प्रशांत महासागर का पानी -
ये रहस्य दो बड़े महासागर हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर से जुड़ा हुआ है ये दोनों महासागर अलास्का की खाड़ी में आकर मिलते है. लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि ये दोनों महासागर आपस में मिलते जरुर है लेकिन इसका पानी आपस में एक-दूसरे में मिश्रित नहीं होता है. यहाँ पर हम आपको कुछ तस्वीरें भी दिखाने जा रहे है जिसमें साफ तौर पर आप देख सकते है कि इन दोनों महासागरों का पानी एक-दूसरे से मिल तो रहा है लेकिन आपस में मिक्स नहीं हो रहा है.
वैसे तो ये हिंद महासागर और प्रशांत महासागर का पानी सदियों से आपस में नहीं मिले है लेकिन इसकी सबसे पहले तस्वीरें तब सामने आई जब केंट स्मिथ नाम के फोटोग्राफर ने जुलाई 2010 में इन तस्वीरों को अलास्का से क्लिक करके इंटरनेट पर डाली थी, उसके बाद से ये तस्वीरें वायरल हो गई और आज तक कई समुद्री वैज्ञानिक इस जगह पर रिसर्च करने आ चुके है.

वैज्ञानिक रिसर्च में ये बात आयी सामने
इस बात को सुलझाने के लिए अब तक कई समुद्री वैज्ञानिक यहाँ पर रिसर्च के लिए आ चुके है जिनका कहना है कि प्रशांत महासागर का अधिकतर पानी ग्लेशियर से पिघल कर आता है जिससे इसका रंग हल्का नीला होता है.
इस बात को सुलझाने के लिए अब तक कई समुद्री वैज्ञानिक यहाँ पर रिसर्च के लिए आ चुके है जिनका कहना है कि प्रशांत महासागर का अधिकतर पानी ग्लेशियर से पिघल कर आता है जिससे इसका रंग हल्का नीला होता है.
वहीं हिन्द महासागर का पानी नमक और लवणों की वजह से गहरा नीला है जिससे इन दोनों में फर्क दिखाई देता है.
हालाँकि इन दोनों के पानी के मिक्स नहीं होने के पीछे वैज्ञानिकों की भी अलग-अलग राय है.

क्या कहना है वाैैैज्ञानिकों का
कई वैज्ञानिकों का कहना है कि खारे पानी और मीठे पानी का घनत्व, तापमान और लवणता अलग-अलग होती है जिससे ये मिक्स नहीं होते है. वहीं कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियरों से पिघलने वाला पानी मीठा होता है वहीं समुद्र का पानी खारा होता है और जहाँ पर ये दोनों महासागर मिलते है वहां पर झाग की एक दीवार बन जाती है और अलग-अलग घनत्व होने के कारण से ये आपस में मिक्स नहीं हो पाते है.
इसके अलावा इसका एक कारण ये भी माना जाता है कि जब अलग-अलग घनत्व के पानी पर सूरज की किरणें पड़ती है तो पानी का रंग बदलता है और जब ये दोनों महासागर आपस में मिलते है तो इनके अलग-अलग रंग होने के कारण ये अलग-अलग दिखाई देते है और मिक्स नहीं होते है. वहीं कुछ लोग इस अद्भुत संगम को चमत्कार और धार्मिक मान्यताओं से भी जोड़कर देखते है.

हिंद महासागर और प्रशांत महासागर का पानी के मिश्रित ना होने की वजह जो भी हो लेकिन इस अद्भुत दृश्य को देखना अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं लगता है.
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